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मनु ने धर्म के दस लक्षण गिनाये हैं : धृति :क्षमा दमोस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह :| धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणं || (मनुस्मृति ६.९ २ )

खडगे जी बत्लादें आपको :

सनातन धर्म एक वैश्विक धर्म है विश्व धर्म है।वृत्तिक धर्म है, एक वृत्ति का नाम सनातन धर्म है। एक स्वाभाव का नाम सनातन धर्म है। एक नैतिकता एक कर्तव्य कर्म का नाम सनातन धर्म है।हर वस्तु पदार्थ का एक धर्म है जैसे पानी का धर्म शीतलता है वायु का बहाव ,अग्नि का धर्म जलाना ,फूल का सुगंध बिखेरना , काँटों का चुभन। परस्पर विरोधी गुण  हैं  यह. जैसे जल जला नहीं सकता अग्नि शीतलता नहीं दे सकती है। कांटे खुश्बू नहीं दे सकते।फूल चुभन नहीं दे सकते।   

  मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ये बतलायें - जिस नेहरुपंथी अपशिष्ट कांग्रेस की वह वकालत करते हैं उसकी धर्म संबंधी अवधारणा क्या है ?वह बतलाये क्या किसी हिन्दू ने तलवार के बल पर किसी को बाधित किया है अपना धर्म परिवर्तन करने के लिए। जनेऊ न पहनने के लिए ,चर्च न जाने के लिए ,गुरुद्वारे में शब्द कीर्तन न सुनने के लिए ?हिन्दुओं को कांग्रेस लिखकर नहीं देगी कि हम हिन्दू विरोधी हैं। हिन्दुओं को समझना पड़ेगा हिन्दू विरोद्ध कांग्रेस के डीएनए में है खानदानी विरासत जीवन खंडों में है। नेहरू से लेकर राहुल तक उनकी अम्मा तक सब यही काम करते रहें हैं सनातन परम्परा को पूरी कोशिश के साथ  विच्छिन्न करना।जैन ,सिख आदिक धर्मों को अलग धर्मों का दर्ज़ा दिलवाने के बाद कांग्रेसी कोशिश कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को एक अलग समुदाय - धर्म का दर्ज़ा दिलवाना चाहती थी।  

धैर्य ,क्षमा ,मन को वश में रखना आदिक  धर्म के लक्षण है। कांग्रेसियों को मन को बस में रखना तो पाप लगता है। झूठ बोलो ,बलात्कार  करो ,चोरी  करो ,यही इनका नैत्यिक कर्म रहा आया है। 

पवित्र रहना क्या है ? सुबह उठकर शौच करना भी नहीं आता जिसे वह कांग्रेसी है। 

पवित्रता और इन्द्रियनिग्रह। ये सनातन धर्म के ही लक्षण हैं। 

ये कहते हैं इन्द्रियों के अनुकूल चलो। ये इसको राजनीति कहते हैं। 

धी ,विद्या ,ज्ञान ,सत्य ,क्रोध न करना आदिक  दस लक्षण  मनु महाराज ने धर्म के बतलायें हैं।  अपने राष्ट्रविरोशी कृत्यों की माफ़ी मांगनी है कांग्रेस को  तो मनुमहाराज को पढ़ लो। जो चालीस बरस भारत में रहकर भी भाषा नहीं सीख सके वह कांग्रेसी हैं। कांग्रेसी मलिकार्जुन अपने बाप थरूर से पूछ देखें धर्म का लक्षण क्या है वह कहेगा जो समाज का विरोधी है वह धार्मिक है। 

परहित सरिस धर्म नहीं भाई ,
पर पीड़ा सम नहीं अधमाई। (तुलसीदास )
सब का हित ,सबका विकास ,किसी को न सताना यही धर्म है। 

मलिकार्जुन बतलायें वह लुटरे बर्बर बाबर के साथ  हैं या सनातनधर्म के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम  राम के ?धर्म और मल्लिकार्जुन  ?धर्म को रिलिजन समझने वाली कांग्रेस धर्म  की बात करे सनातन धर्म  की बात करे इससे बड़ा और  क्या मज़ाक हो सकता है। और यह काम वह नित्य खड़खड़ करने वाले खड़गे को सौंपे कि वह लोगों को बतलायें धर्म क्या होता है। 

मनु महाराज ने धर्म के दस लक्षण बतलाये हैं :गूगल करके देखना संस्कृत में मूल श्लोक भी मिल जाएगा। इसीलिए कहा गया है :

नीच संग प्रसादेन जातं  जन्म निरर्थकम

बर्बर वास नरक् कर  पाता ,

दुष्ट संग नहिं जनि देइ  विधाता। 
कांग्रेसी चाटुकारों को अपने परलोक की चिंता करनी चाहिए। दुष्टों का संग साथ त्याज्य है इसे समझना चाहिए।

                                   मनुस्मृति  

मनु ने धर्म के दस लक्षण गिनाये हैं :
धृति :क्षमा दमोस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह :| 
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणं || (मनुस्मृति ६.९ २ )

अर्थ -सार (भावसार ):धृति (धैर्य ),क्षमा (अपना अपकार करने वाले का भी उपकार करना ),दम (हमेशा संयम से धर्म में लगे रहना ),अस्तेय (चोरी न करना ,),शौच (भीतर और बाहर की पवित्रता ),इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों को हमेशा धर्माचरण में लगाना ),धी (सत्कर्मों से बुद्धि  को बढ़ाना ),विद्या (यथार्थ ज्ञान लेना ),सत्यम (हमेशा सत्य का आचरण करना और अक्रोध (क्रोध को छोड़कर हमेशा शांत रहना )|

सन्दर्भ-सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=BPIEoQ4sJFg





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